संकट के बीच मदद के हाथ / 6000 परिवारों का सहारा बना एक किसान, 80 गांवों के जरूरतमंद परिवारों को राशन

उम्मेदनगर में रहने वाले किसान पाबूराम मंडा और उनकी पत्नी मुन्नीबाई ने अपनी जीवनभर की पूंजी 50 लाख रुपए जरूरतमंदों की मदद में लगाई।
उम्मेदनगर में रहने वाले किसान पाबूराम मंडा और उनकी पत्नी मुन्नीबाई ने करीब 50 लाख रुपए जरूरतमंदों की मदद में लगाए.
मंडा परिवार अब तक 2 हजार से ज्यादा परिवारों तक सामान भेज चुका, बाकियों को अनाज और अन्य सामग्री भेजी जा रही.
जोधपुर . कोरोना संकट के दौर में जरूरतमंदों की मदद के कई किस्से सामने आ रहे हैं। हर कोई अपनी क्षमता से गरीबों की मदद कर रहा है। ऐसा ही एक परिवार है उम्मेदनगर में रहने वाले किसान पाबूराम मंडा और उनकी पत्नी मुन्नीबाई का। इन्होंने अपनी जीवन भर की पूंजी करीब 50 लाख रुपए जरूरतमंदों की मदद में लगा दी है। इसके जरिए वे 80 गांवों के करीब 6,000 परिवारों की मदद में जुटे हैं।
स्थानीय प्रशासन की मदद से उन्होंने उन सभी परिवारों की पहचान भी कर ली है, जो लॉकडाउन की वजह से बुनियादी जरूरतों के संकट से जूझ रहे हैं। मंडा परिवार अब तक दो हजार से ज्यादा परिवारों तक सामान पहुंचा चुका है, जबकि बाकी परिवारों को अनाज और अन्य सामग्री भेजी जा रही है। इस काम में उनके बेटे रामनिवास भी पूरी लगन से जुटे हैं।
पाबूराम के बेटे ने कहा- उनका बेटा होना गर्व की बात
पाबूराम मंडा के एक बेटे डॉ. भागीरथ मंडा आईआरएस अधिकारी हैं और फिलहाल दिल्ली में डिप्टी इन्कम टैक्स कमिश्नर हैं। उनके मुताबिक, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि बुजुर्ग माता-पिता इस तरह तुरंत एक्शन लेंगे और जोधपुर की ओसियां और तिंवरी तहसील के करीब 80 गांवों में भोजन की व्यवस्था करेंगे। उनका बेटा होना गौरव की बात है।